मित्रो, कक्षा में सप्ताह में एक तो ‘ऑफ’ पीरियड होता है न ? आप इस खाली घंटे में क्या करते हैं ? कक्षा में कितनी धमा-चौकडी मचाते हैं ? ‘कैन्टीन’ में बैठे गप्पें मारते रहते हैं ? …और क्या-क्या किया जा सकता है ? पूछते हैं, तो बताता हूं – इस घंटे में स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों का चरित्र पढा जा सकता है ! विश्व के अन्य किसी भी देश के क्रांतिकारियों को सूझे नहीं होंगे, ऐसे साहसभरे कृत्य भारत के अपो क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम में कर दिखाए । उसके कुछ उदाहरण देखिए –
१.स्वा. सावरकर ने विशाल सागर और आकाश को साक्ष मानकर जहाजपर से गरजते समुद्र में छलांग लगा दी ।
२.साँडर्स-वध के प्रकरण में पकडे जाने पर ब्रिटिश सरकार के अन्याय के विरोध में ६३ दिनोंतक अनशन कर जतिंद्रनाथ दास ने अपने प्राणों का त्याग किया ।
३.माता-पिता, पत्नी एवं बच्चे को हिंदुस्थान में ही छोडकर इंग्लैंड गए मदनलाल धींगरा ने २५ वर्ष की अवस्था में ही इंग्लैंड में कर्जन वायली को गोलियों का लक्ष्य (निशाना) बनाया था ।
४.ब्रिटिश सरकार के विरोध में आयोजित प्रदर्शन में भाग लेने पर १५ वर्ष के चंद्रशेखर आजाद ने अपनी पीठपर दंडस्वरूप १५ बेतों के प्रहार से लहूलुहान होने पर ‘आह’ तक नहीं की । शांत रहते हुए सब प्रहार झेल गए ।
एक नहीं, दो नहीं, ऐसे सैकडों प्रसंग इतिहास के पृष्ठों पर अंकित हैं । अतः ‘इसके आगे ‘ऑफ’ पीरियड में धमा-चौकडी बंद;कैन्टीन, कॉलेज कैम्पस में समय गंवाना बंद… सर्व बंद । इस समय में देश के क्रांतिकारियों का रोमहर्षक संग्राम पढिए !