१. बच्चो, श्री गणेशोत्सव में ऐसा करें !
अ. ‘श्री गणपति’का नामजप करें ।
आ. श्री गणपति को उचित पद्धति से नमस्कार करें ।
इ. आरती सुर में गाएं ।
ई. भजन गाएं ।
उ. राष्ट्रभक्तिपर गीत गाएं ।
ऊ. स्तोत्रप्रतियोगीता में सहभाग लें ।
ए. उत्सव में कुर्ता-पायजमा पहनें ।
ऐ. अनादर करनेवाले श्री गणपति के छायाचित्र का प्रतिरोध करें ।
२. श्री गणेशोत्सव में श्री गणपति की कृपा संपादन करने हेतु ऐसा करें !
अ. चलचित्रगीतों की स्पर्धा का बहिष्कार करें ।
आ. श्री गणपति की प्रतिमा शास्त्र के अनुसार नहीं हो तो देखने नहीं जाए ।
इ. गुलाल नहीं फेकें ।
ई. श्री गणपति के सामने नाचना नहीं।
उ. रंगबिरंगे कपडे नहीं पहनें ।
ऊ. पटाखे नहीं फोडें ।
ए. श्री गणपति के कार्टून स्वरूप चलचित्र नहीं देखें ।
३. विद्यार्थियों के जीवन में श्री गणपति का महत्त्व
मित्रो, हम सभी विद्यार्थी हैं । विद्यार्थी अर्थात निरंतर ज्ञान ग्रहण करने के लिए प्रयास करनेवाला । विद्या ग्रहण करनी है, तो विद्यापति श्री गणपति की कृपा संपादन किए बिना हम ज्ञान ग्रहण नहीं कर सकते । श्री गणेशचतुर्थी अर्थात हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण दिन । जिस बुद्धिद्वारा हम ज्ञान ग्रहण करते हैं, उस बुद्धि के दाता श्री गणपति ही हैं । सात्त्विक बुद्धि के बिना ज्ञान का आकलन होना असंभव है; अतः विद्यार्थी मित्रो, हम श्रीगणपति की कृपा अधिक से अधिक संपादन करने का प्रयास करें । वास्तव में इन दिनों पृथ्वीपर गणेशतत्त्व अधिक मात्रा में जागृत रहता है, हम सभी को इसका लाभ लेना चाहिए । श्री गणपति को जिन नामों से हम संबोधित करते हैं, आइए उन नामों के अर्थ देखें ।
३ अ. विघ्नहर्ता : श्री गणपति हमारी पढाई में आनेवाली सभी अडचनें दूर करते हैं । यदि हम श्री गणपति को लगन से प्रार्थना करें, तो हमारी सभी अडचनें श्री गणपति दूर करते हैं; क्योंकि वे विघ्न दूर करनेवाले हैं ।
३ आ. वक्रतुंड : अभ्यास करते समय जो विद्यार्थी अनिष्ट मार्ग अपनाते हैं, उदा. नकल करना (कॉपी करना), साथ ही अन्यों को कष्ट हो, ऐसा आचरण करना, बोलना, इस प्रकार से वक्र, अर्थात टेढे मार्ग अपनानेवालों को श्री गणपति उचित मार्गपर लाने का कार्य करते हैं ।
३ इ. बुद्धिदाता : श्री गणपति हमें सात्विक बुद्धि प्रदान करते हैं एवं वह हमें निरंतर अच्छे विचार करने की प्रेरणा देते हैं । अच्छे विचारद्वारा हमें आनंद प्राप्त होता है; अतएव हम श्री गणपति को प्रार्थना करें , ‘हे गणराया, मुझे सदबुद्धि दें ।
३ ई. विनायक : श्री गणपति सभी के नायक, अर्थात नेता हैं । विद्यार्थियों के जीवन में ‘नेतृत्व’ गुण का विशेष महत्त्व है । हम श्री गणपति की कृपा संपादन कर यह गुण आत्मसात करें ।
३ उ. मंगलमूर्ति : मंगलमूर्ति की उपासना करनेपर हमारा मंगल होता है । मंगल अर्थात पवित्र । पवित्र अर्थात जिसमें कोई भी विकार नहीं, ऐसा । अतः हम हमारे दोष एवं अहं दूर करें । हम पवित्र होकर आनंदी रहें एवं इसके लिए श्री गणपति को प्रार्थना करें, ‘हे गणराया, मुझ में स्थित दोष एवं अहं दूर करने की शक्ति एवं बुद्धि प्रदान करें एवं मुझे आप अपने जैसा मंगलमय बनाएं ।’
४. विद्यार्थी मित्रो, श्री गणेशचतुर्थी की कालावधि में श्री गणपति की उपासना किस प्रकार करें ?
४ अ. श्री गणपति का नामजप अधिक से अधिक करें : श्री गणपति का नामजप करने से चतुर्थी की कालावधि में हमें गणेशतत्त्व का लाभ प्राप्त होता है । साथ ही मन की एकाग्रता एवं ग्रहण क्षमता में वृद्धि होती है । मन में स्थित भय के विचार दूर होते हैं ।
४ आ. प्रतिदिन ग्यारह बार संकटनाशन स्तोत्र पठन करें : इस कालावधि में गणेशतत्त्व अधिक मात्रा में कार्यरत होने के कारण हमें इसके लाभ से पढाई में आनेवाली सभी अडचनें दूर होती हैं ।
४ इ. अथर्वशीर्ष का पठन करें : बच्चो, अपनी वाणी में चैतन्य आनेपर अपने बोलने में मिठास आती है । अथर्वशीर्ष के पठन से अपने उच्चारण स्पष्ट होते हैं एवं वाणी में मिठास आती है; अतएव अथर्वशीर्ष का पठन हमें अवश्य ही करना चाहिए ।
४ ई. अधिक से अधिक प्रार्थना करें : जिस भाषा में हम बोलते हैं, उस भाषा को नादभाषा कहते हैं। अन्य देवताओं की अपेक्षा श्री गणपति को हमारी भाषा का आकलन होता है; अतएव हम अधिक से अधिक प्रार्थना कर उनकी कृपा संपादन करें ।
४ उ. मानसपूजा कर कृपा संपादन करें : मानसपूजा अर्थात मन से की गई पूजा । मानसपूजा के कारण मन को उत्साह प्राप्त होता है । मानसपूजा के लिए कोई भी बंधन नहीं होता । हम श्री गणपति को अपनी पसंद के वस्त्र, पसंद की वस्तु प्रदान कर सकते हैं । हम मनद्वारा निरंतर श्री गणपति के सहवास में रहकर आनंदी रह सकते हैं ।
५. मित्र, श्री गणेशोत्सव में निम्नलिखित अनिष्ट विधियां बंद करें !
५ अ. चीखते चिल्लाते एवं बेसुरा आरती गाना : इस प्रकार आरती गाने से गणेशतत्त्व का लाभ प्राप्त नहीं होता, उलटे वहां की शक्ति नष्ट होती है । आरती आर्तता से गाई जाती है अतएव ये अनिष्ट विधियां बंद कर कृपा संपादन करें ।
५ आ. पटाखे फोडना : पटाखे फोडने से देवता का चैतन्य नष्ट होता है एवं वातावरण में प्रदूषण की होती है । अतएव यह कृत्य बंद करना चाहिए, तो ही श्री गणपति की कृपा होगी ।
५ इ. चलचित्र के गीतोंपर नृत्य करना : श्री गणेशोत्सव में नृत्य का कार्यक्रम आयोजित करना है, तो शास्त्रीय नृत्य का होना चाहिए । देवताओं के सामने चलचित्र के गीतोंपर नृत्य करना अनुचित है । ऐसी स्पर्धा में सहभाग नहीं लेना, यह भी एक उपासना है । बच्चो, इसका बहिष्कार करें ।
५ ई. श्री गणपति का मुखौटा पहनकर विचित्र नाचना : श्री गणपति का मुखौटा पहनकर नाचना, यह अपने देवता का अनादर है; देवता हमारे खिलौना नहीं हैं ।
५ उ. श्री गणपति के सामने ताश के पत्ते खेलना : आजकल कुछ बच्चे श्री गणपति के सामने जागरण के बहाने ताश के पत्ते खेलते हैं । यह कृत्य हमें रोकना ही होगा; क्योंकि जागरण हेतु हम भजन कर सकते हैं ।
५ ऊ. ‘रिमिक्स’पर आरती एवं श्री गणपति के गाने गाना : यह कृत्य सामने आते ही रोकना चाहिए । आरती भावपूर्ण एवं सुर में ही गानी चाहिए ।
६. बच्चो, श्री गणपति का अनादर होनेवाले कृत्य नहीं करें !
६ अ. श्री गणपति के छायाचित्र होनेवाले ‘टी-शर्ट’ पहनना : जहां देवता का छायाचित्र होता है, वहां उस देवता का वास होता है । ‘टी-शर्ट’पर श्री गणपति का छायाचित्र होना, उनका अनादर है । ‘टी-शर्ट’ धोते समय हम उसे ढेर के समान एकत्रित करते हैं । साथ ही उसे कैसे भी रखते हैं; इसलिए यह कृत्य अर्थात श्री गणपति का अनादर । हम अपने मित्रों एवं सहेलियों को ऐसा बता कर यह अनादर रोक सकते हैं ।
६ आ. चित्रकला का नाम लेकर किसी भी रूप में श्री गणपति को चित्रित करना : विद्यार्थी मित्रो, किसी भी रूप में श्री गणपति की लकीर खिंचना, यह कला नहीं, अपितु पाप है । कार्टून रूप में, साथ ही किसी भी रूप में श्री गणपति की लकीर खिंचना, यह उनके प्रति अनादर है । क्या हम अपने माता-पिता के छायाचित्र किसी भी रूप में चित्रित करते हैं ? नहीं । यदि श्री गणपति हमारे आराध्य देवता हैं, वही हमें बुद्धि प्रदान करते हैं, तो अपने देवता को इस प्रकार चित्रित करने से हमपर श्री गणपति का कोप ही होगा ।
६ इ. लेखन के पुष्टीपत्र के ऊपर (कवरपर) श्री गणपति का छायाचित्र होना : आजकल बच्चे परीक्षा के लिए जाते समय लेखन करने के लिए जिस पुष्टीपत्र का उपयोग करते हैं, उसपर श्री गणपति का छायाचित्र होता है । उसके ऊपर उत्तरपत्रिका (पेपर) रखते हैं एवं लेखन करते हैं, यह अनादर है ।
६ ई. कागज के लुगदे से श्री गणपति सिद्ध करना : श्री गणपति की मूर्ति शाडू की मिट्टी से सिद्ध की जाती है; क्योंकि शाडू की मिट्टी में श्री गणपति के तत्त्व ग्रहण करने की क्षमता होती है; इसलिए बच्चो, मिट्टी की ही मूर्ति निर्माण करें ।
बच्चो, श्री गणेशोत्सव में होनेवाले ये अनुचित कृत्य हम बंद करें एवं श्री गणपति की कृपा संपादन करें ।’
– श्री. राजेंद्र पावसकर (अध्यापक), पनवेल