अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम बढाने के लिए यह करें !

बच्चो, परिवार का एक सदस्य होने के नाते आप छोटे-मोटे कार्य करते हैं । उसी प्रकार आप जिस देश  रहते हैं, उस देश के प्रति भी आप के कुछ कर्तव्य होते हैं । इन कर्तव्यों को पूर्ण करना हो तो(साकार करना हो तो), सर्वप्रथम राष्ट्राभिमान जागृत करना चाहिएं ।

बच्चो, स्वयं में राष्ट्रप्रेम एवं राष्ट्राभिमान जागृत होने के उद्देश्य से देशभक्तिपर आधारित विविध गीत गाना सीखें !

अ. देश को स्वतंत्र करने हेतु फांसीपर चढनेवाले क्रांतिकारियों की वाणी में सदा ‘वन्दे मातरम’, ये ही दो शब्द रहते थे । इसी कारण ‘वन्दे मातरम’ गीत गाते समय क्रांतिकारियों के बलिदान का स्मरण होता है ।संस्कृत प्रचुर होने से इस गीत में विद्यमान चैतन्य से गानेवाले तथा श्रवण करनेवाले को लाभ होता है । बच्चों को इस गीत की सभी पक्तिंया कंठस्थ कर सुर में गाना चाहिएं ।

आ. ‘शिवकल्याण राजा’,मेरा राष्ट्र महान जैसे ध्वनिचित्र चक्रिका (सीडी) / ध्वनिफीत (कैसेट) की राष्ट्रभक्तिपर आधारित गीतों का श्रवण करें तथा यादकर उन्हें गाएं । / (कंठस्थ कर गाएं)

यदि पाठशाला तथा अन्य स्थानोंपर समूह गीतों  प्रतियोगिता हो, तो ‘वन्दे मातरम’ तथा देशभक्तिपर आधांरित अन्य ‘समूहगीत’ गाएं । संगठित होकर देशभक्तिपर आधारित गीत गाने से बच्चो में संगठितभाव की जागृति होती है । निम्नलिखित मार्गिकापर (लिंकपर) ऐसे ही कुछ गीत सुनने मिलेंगे –
http://hindujagruti.org/hinduism-for-kids-marathi/cid_65.html

शौर्यगीत

छत्रपति शिवाजी महाराज तथा अन्य वीरों के स्फूर्तिदायी (चेतनादायी) चरित्र का ज्ञान प्राप्त करने के लिएं तथा उनके पराक्रमी इतिहास का स्मरण रहे इसके लिए शौर्यगीत (पोवाडा) गाना सीखें । शौर्यगीत गाने से (पोवाडा से) क्षात्रवृत्ति जागृत होकर राष्ट्रभक्ति का संस्कार दृढ होता है ।

राष्ट्र, धर्म एवं साधना, इन विषयोंपर आधारित कविताएं

दैनिक अथवा साप्ताहिक ‘सनातन प्रभात’ में राष्ट्र, धर्म एवं साधना के विषयोंपर अनेक कविताएं प्रकाशित होती हैं । इन कविताओं को सुर में बांधकर उन्हें गाएं । इससे बालकों को तथा अन्यों को(समाज को) राष्ट्र एवं धर्म के प्रति कुछ-ना-कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी ।

देशभक्तिपर आधारित गीत गाने से जनमानसपर होनेवाला परिणाम

१. भजन, आरती, लोरी ( गीतोंद्वारा भगवान के बालरूप की स्तुति ), देशभक्ति के गीत, क्षात्रगीत, शौर्यगीत(पोवाडा) आदि सीखते एवं गाते समय उसका अर्थ समझ लें ।

२. यदि देवता के प्रति भाव रखनेवाले छात्रद्वारा भक्तिगीत गाया जाए, तो वह श्रवणकर्ता की भावजागृति करता है । उसी प्रकार देश के प्रति प्रेम रखनेवाले छात्र द्वारा देशभक्तिपर गीत गाए जनेपर सुननेवाले में देशप्रेम जागृत होता है । (इस प्रकार के गीत इस जालस्थलपर ‘स्फूतिगीते’ नाम का शीर्षक में उपलब्ध हैं ।)

प्रतियोगिताएं, स्नेहमिलन तथा अन्य कार्यक्रमों में ईश्वरभक्ति एवं राष्ट्रभक्ति को बढावादेनेवाले (चालनादेनेवाले) गीतों का गायन करना तथा अन्यों को भी इस कार्य के लिएं प्रवृत्त करना, यह राष्ट्र भक्ति का प्रतीक है ।

बालको, विविध स्थलोंपर होनेवाले गीतों की प्रतियोगिताएं,पाठशाला का स्नेहमिलन अथवा अन्य कार्यक्रमों में भजन, भक्तिगीत, देशभक्ति गीत, क्षात्रगीत अथवा शौर्यगीत (पोवाडा) आदि का गायन करें । ‘ऑर्केस्ट्रा’ जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन करनेवाले गणेशोत्सव मंडल तथा नवरात्रोत्सव मंडलों का प्रबोधन करना चाहिएं । उनसे ईश्वर भक्ति तथा राष्ट्रभक्ति को जागृत करनेवाले गीतों को प्रस्तुत करने की विनती करना राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है ।

सार्वजनिक स्थलोंपर ईश्वरभक्ति तथा राष्ट्रभक्ति को जागृत करनेवाले गीतों को आयोजन करने से आपके राष्ट्राभिमान एवं धर्माभिमान को प्रोत्साहन मिलेगा, स्वभाव(वृत्ति) सात्त्विकता की ओर झुकेगा तथा समाज के सामने नीतिहीन चित्रपट कलाकारों के (अभिनेताओं के) आदर्श की अपेक्षा संत, राष्ट्रपुरुष एवं क्रांतिकारियों का आदर्श निर्माण होगा ।

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