‘छत्रपति शिवाजी ने हिंदवी राज्य की, अर्थात आदर्श हिंदू राष्ट्र की स्थापना की । हिंदू राष्ट्र निर्माण हो, इसकी जन्मघुट्टी जीजामाता ने उन्हें बाल्यवस्था में ही पिलाई थी । जीजामाता ने उनमें धधकता धर्माभिमान एवं राष्ट्राभिमान भी निर्माण किया । इसके साथ ही उन्हें शस्त्र-अस्त्र का प्रशिक्षण देकर उनमें क्षात्रवृत्ति जागृत की और उनके मन में अन्याय तथा अत्याचार के विषय में चिढ उत्पन्न की । बाल्यावस्था में ही उनमें भक्ति तथा हिंदु धर्म का बीज बोकर जीजामाता ने सभी दृष्टि से उन्हें तैयार किया । इसीलिए हिंदवी स्वराज्य की स्थापना हो पाई । इसके फलस्वरूप ही आज हम हिंदू बनकर जीवन यापन कर रहे हैं ।
इससे अपने ध्यान में आया होगा कि हिंदू राष्ट्रकी स्थापना के लिए माता को ही अब संकल्प करना चाहिए कि, ‘हमें अपने बच्चों को शिवाजी महाराजजी जैसा बनाने का प्रयास करना है, जिससे वह हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए ईश्वरीय कार्य में सहभागी हो ! ऐसा करने से ही हिंदू राष्ट्र का सवेरा शीघ्र आएगा ।
अब हम जीजामाता एवं वर्तमान की माताओं की विचारधारा का अभ्यास करेंगे ।
१. बच्चों का भवितव्य
१ अ. आजकल की माता – ‘बच्चे को स्वयं के लिए ही जीना चाहिए’, ऐसा प्रतीत होकर उसपर संकुचितता का संस्कार किया जाना : ‘मेरा बेटा अथवा बेटी आधुनिक वैद्य (डॉक्टर) अथवा अभियंता (इजीनियर) बने और बडा नाम कमाए’, ऐसी आजकल की माताओं की मानसिकता है । उन्हें लगता है कि बच्चों का जीवन स्वयंतक ही सीमित होना चाहिए, अर्थात ‘संकुचित मानसिकता’ यह हिंदू राष्ट्र की निर्मिति में बडी बाधा है । जो माता संकुचितता का संस्कार करती हैं, वह अप्रत्यक्षरूप से राष्ट्र का विनाश ही करती हैं, इसलिए कि ऐसे संस्कार हुए व्यक्ति राष्ट्र का विचार ही न कर पाने से वे राष्ट्र रक्षा के लिए सिद्ध नहीं हो सकते हैं ।
१ आ. जीजामाता – ‘शिवाजी को राष्ट्र के लिए जीना चाहिए’, ऐसा संस्कार होना : ‘मेरा शिवाजी महान बने; परंतु वह राष्ट्र के लिए जिए । अपना नाम ऊंचा करने की अपेक्षा राष्ट्र का नाम रोशन करें’, ऐसा जीजामाता का व्यापक विचार था । माता ही बच्चे को व्यापक बना सकती हैं; इसलिए प्रत्येक माता को ऐसा निश्चय करना चाहिए कि, ‘‘हम भी बच्चों को व्यापक बनाकर हिंदू राष्ट्र की निर्मिति में गिलहरी की भांति अपना योगदान देंगे ।’’
२. संस्कार करना
२ अ. आजकल की मां – ‘अंग्रेजी ग्रंथ पढकर बच्चे ज्ञानी होंगे’, ऐसा लगना : आजकल की माताओं की ऐसी भ्रामक कल्पना है कि बच्चे बडे-बडे अंग्रेजी ग्रंथ पढने से अपनेआप ही ज्ञानी हो जाएंगे । उन्हें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ग्रंथ पढकर बच्चों को कोई पदवी अवश्य ही मिलेगी; परंतु उससे उनपर अच्छे संस्कार नहीं होंगे ।
२ आ. जीजामाता – बाल शिवाजी को रामायण तथा महाभारत की बातें सुनाना : जीजामाता शिवाजी महाराज को प्रतिदिन रामायण-महाभारत की कथाएं सुनाती थीं । इसीलिए शिवाजी में अन्याय के विषय में चिढ उत्पन्न हुई और उन्होंने हिंदवी राज्य स्थापित करने की शपथ ली ।
माताओ, अपने धर्मग्रंथ ही बच्चों को आदर्श जीवन का पाठ दे सकते हैं; इसलिए अपने बच्चों को रामायण एवं महाभारत ग्रंथ पढने के लिए कहें । तब ही घर-घर में शिवाजी निर्माण होंगे ।
३. आचरण
३ अ. आजकल की माता – पश्चिमी विकृति स्वीकारना : आजकल की माताएं पश्चिमी माताओं के समान आचरण करती हैं । उदा. जीन्स, टी शर्ट एवं पैंट परिधान करना, केश खुले छोडना इत्यादि । माताओं के ऐसे आचरण के कारण बच्चे भी हिंदु संस्कृति का पालन नहीं करते हैं ।
३ आ. जीजामाता – जीजामाता के धर्माचरण के कारण शिवाजीपर संस्कार होना : ‘हिंदु संस्कृति यह मानवी जीवन की नींव ही है’, ऐसी जीजामाता की दृढ श्रद्धा थी । वे स्वयं धर्माचरण, उदा. माथेपर कुंकुम लगाना, केशों का जूडा बनाना इत्यादि करती थीं । इसके साथ ही वे प्रतिदिन नामजप करना, भगवान से प्रार्थना करना इत्यादि साधना भी करती थीं । जीजामाता के धर्माचरण के कारण शिवाजीपर भी वे संस्कार हुए और उनमें अपनेआप ही संस्कृति के विषय में अभिमान निर्माण हुआ ।
हिंदु संस्कृति में प्रत्येक कृत्य के पीछे शास्त्र है । उसके आचरण के कारण स्त्री को ईश्वर की शक्ति मिलती है । इसलिए प्रत्येक माता से निवेदन करने का मन करता है कि उन्हें स्वयं ही धर्माचरण करने का निश्चय करना चाहिए । तब ही बच्चोंपर योग्य संस्कार होकर वे हिंदू राष्ट्र के लिए पात्र नागरिक बनेंगे ।
४. समय बिताने के लिए भी दूरदर्शनपर कुसंस्कार करनेवाले धारावाहिक न देखें !
आजकल स्त्रियां समय बिताने के लिए दूरदर्शनपर धारावाहिक देखती हैं । इन धारावाहिको में राग, द्वेष, मत्सर एवं मारपीट की ही भरमार होती है । इसलिए अच्छे संस्कार न होकर विकारों को ही बढावा मिलता है । बच्चे भी यही कार्यक्रम देखते हैं और उनपर भी उसका बुरा परिणाम होता है । माताओ, आपको राष्ट्र तथा धर्म विषयी धारावाहिक देखने चाहिए ।
५. प्रार्थना
सर्व माताओं को श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना करनी चाहिए, ‘हे श्रीकृष्ण, हम जीजामाता के स्मृतिदिवस के निमित्त प्रार्थना करते हैं । जीजामाता समान ही हमारे बच्चोंपर संस्कार करने की शक्ति एवं बुदि्ध हमें दें तथा हमारे हाथों हिंदू राष्ट्र के लिए योग्य नागरिक घडवाने की सेवा करवा लें । यही आपके चरणों में प्रार्थना है !’
– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल.