बालको, निरोग तथा बलवान शरीर अलंकार समान है । शरीर निरोग होगा, तो ही आप उचित प्रकार से पढाई कर सकते हैं, पर्यटन करने जा सकते हैं अथवा खेल प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं । लोकमान्य तिलक एवं स्वा. सावरकर जब विद्यार्थी थे, तबसे ही उन्होंने शरीर को बलवान बनाने के लिए विशेष प्रयास आरंभ कर दिए थे । इसलिए वे क्रमशः मंडाले तथा अंदमान का प्राणघातक कारावास भोगकर सकुशल स्वदेश लौटे । शरीर निरोग एवं बलवान बनाए रखने के लिए आगे दिए अनुसार आचरण करना चाहिए ।
अ. योगासन नियमित करना
शरीर को पुष्ट बनाने के लिए किए जानेवाले ऐरोबिक्स व्यायाम से केवल शारीरिक व्यायाम तथा थोडा-बहुत मनोरंजन होता है । योगासन प्राचीन ऋषिमुनियों की देन है तथा योगासन करने से अनेक वर्ष निरोग रह सकते हैं तथा दीर्घायु प्राप्त होती है । सूर्यनमस्कार प्राथमिक स्तर का योगासन है ।
सूर्यनमस्कार के लाभ तथा करने की पद्धति जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए !
आ. प्राणायाम नियमित करना
प्राणायाम से शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा बार-बार होनेवाली सर्दी, दमा, पाचनतंत्र के दोष तथा अन्य व्याधियां भी घटती हैं । प्राणायाम जाननेवाले व्यक्ति से प्राणायाम सीख लीजिए तथा अपना स्वास्थ्य उत्तम बनाए रखिए ।
इ. आयुर्वेदका उपयोग करें
आजकल स्वास्थ्य थोडा भी बिगडता है, तो अनेक लोग ऐलोपैथिक औषधियां लेना प्रारंभ कर देते हैं । प्राचीन ऋषि-मुनियोंद्वारा बताए गए आयुर्वेद के महत्व का विस्मरण क्यों होता है ? ऐलोपैथिक औषधियों के प्रयोग के दुष्परिणाम हो सकते हैं अथवा एक रोग जाकर दूसरा रोग उत्पन्न हो सकता है । आयुर्वेदिक औषधियों का दुष्परिणाम प्रायः नहीं होता । आयुर्वेदिक औषधियों से निरोग शरीर तथा दीर्घायु प्राप्त होती है ।
मित्रो, आप भी सर्दी-खांसी होनेपर अपनी माताजी को काढा बनाने के लिए कहेंगे न ? ध्यान रखें, हिंदु संस्कृति की धरोहर आयुर्वेद की रक्षा करने का उत्तरदायित्व आपका भी है !