केवल १६ वर्ष की आयु में ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज स्थापित करने की प्रतिज्ञा की । गिने-चुने मावलों में धर्मप्रेम की जागृति कर उन्हें लडना सिखाया और स्वराज की संकल्पना से उन्हें अवगत कराया । हिंदू स्वराज्य के लिए गिने-चुने मावलों ने प्राणों की चिंता किए बिना अपने-आप को झोंक दिया । पांच मुसलमानी सुल्तनतों के विरोध में लडते-लडते एक एक भूप्रदेश को जीत लिया ।
केवल ५० वर्ष की आयु में विजापूर और देहली की राजसत्ताओं को निरस्त किया । वर्ष १६७४ में उनके गुरु समर्थ रामदास स्वामी के मार्गदर्शन के अनुसार हिंदू स्वराज स्थापित करने की घोषणा की । अपने-आपको राज्याभिषेक करवाकर हिंदू धर्म को राजसिंहासन दिलवाया ।
छत्रपति शिवाजी महाराज को स्वराज की जनता अब अपने भाग्यविधाता के रूप में देखने लगी । कुछ लोग तो उन्हें हिंदुपतपातशाह कहने लगे । छत्रपति शिवाजी महाराज ने वेदों की पुराणों की, मंदिरों की रक्षा की और मुख में रामनाम अबाधित रखा । अपने मित्रोंसहित हिंदू स्वराज की शपथ ली ।
हिंदू स्वराज की साक्ष्य
रायरेश्वरसह्याद्रीच्या कडेकपारी, शिवमंदिर एक ।
तिथे रायरेश्वर स्वयंभू शिवलिंग सुरेख ॥
आणाभाका झाल्या आमुच्या, त्याच्या साक्षीने ।
एकजुटीने राहून कोणा अंतर न देणे ॥
देशासाठी, धर्मासाठी झोकून देऊ उडी ।
मावळे आम्ही शिवबाचे सवंगडी ॥
(अर्थ : सह्याद्रि पर्वत के एक शिखरपर स्थित रायरेश्वर का स्वयंभू शिवलिंग है । उन्हीं के समक्ष हमने शपथ ग्रहण की । हम मिल-जुलकर रहेंगे । किसी को हमसे दूर नहीं होने देंगे । देश और धर्म के लिए स्वयं को झोक देंगे । हम मावले छत्रपति शिवाजी महाराज के मित्र हैं ।)
प्रकृति के अनेकविध रुपों का दर्शन करानेवाला रमणीय रायरेश्वर गढ (किला) पुणे जिले के तहसील भोर में बसा है । वह समुद्र की सतह से ४६९४ फूट उंचाईपर बसा है । यहां से कैराटागढ, केंजलगढ, पांडकगढ, कमलगढ, पाचगणी, महाबलेश्वर, कोलेश्वर, रायगढ, लिंगाणा, तिकोणा, राजगढ, तोरणा, सिंहगढ, पुरंदर, कङ्कागढ, प्रतापगढ, चंद्रगढ आदि गढकिले दिखाई देते हैं ।
रायरेश्वर गढ के पहाडी मैदान की लंबाई ११.०४ कि.मी है । चौडाई १.०२कि.मी है । जहां छत्रपति शिवाजी महाराज ने शपथ ली थी वह शिवमंदिर और माता जननी का मंदिर गडपर है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने शिवा जंगम नामक पुजारी को वहां नियुक्त किया था । वर्तमान में वहां जंगम लोगों के ४०परिवार रहते हैं ।
तहसील भोर के सह्याद्री पर्वत के एक शिखरपर विराजित रायरेश्वर के स्वयंभू शिवालय में छत्रपति शिवाजी महाराज ने २६ अप्रैल १६४५ में हिंदू स्वराज स्थापित करने की शपथ ली थी । बारह मावल प्रांतो से कान्होजी जेधे, बाजी पासलकर, तानाजी मालुसरे, सूर्याजी मालुसरे, येसाजी कंक, सूर्याजी काकडे, बापूजी मुदगल, नरसप्रभू गुप्ते, सोनोपंत डबीर जैसे लोग भोर के पहाडों से परिचित थे । इन सिंहसमान महापराक्रमी मावलों को साथ लेकर शिवाजी महाराज ने स्वयंभू रायरेश्वर के समक्ष स्वराज की प्रतिज्ञा ली ।